Friday, January 30, 2009

ऐसा ही है देश मेरा

इस देश में जहाँ हर बात और हर काम छिपाकर करना सरकार और अफसरों की आदत बन गई है, एक उम्मीद की किरण नज़र आई। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005। कानून बना तो लोगो को लगा की उन्हें भी हकीकत की जानकारी मिल जाया करेगी। वह भूल गई की मेरे देश में सोचना और होना दो अलग अलग बातें हैं। जो होता है उसके पीछे सोच नही होती और जो सोचा जाता है वो होता नही है। इसीलिये तो ये महान लोकतंत्र है। खैर हम बात कर रहे थे Right to information act की। 12 October 2005 के इस Act में आज भी जनता को सही सूचना समय से नही दी जाती। आम इंसान को अभी भी इसका फायदा नहीं मिल रहा है। अपने फैसले छिपाकर रखने वाले Officers नहीं चाहते की जनता हर हकीकत जान सके। यही वजह है, उन्होंने इस कानून में सूचना लेने की चाहत रखने वालों को चक्कर लगवाने शुरू कर दिए। दिल्ली पुलिस में डीसीपी रहे रोबिन हिब्बू, अनिल शुक्ला, अजय चौधरी जैसे कई ऑफिसर रहे हैं, जो सूचना चाहने वालों से पैसे मांगने लगे। केंद्रीय सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह साहब की बात करें तो वो फरमाते हैं, कानून ज्यादा पुराना नही है, अभी ऑफिसर इसे समझ नही पाए हैं, इसलिए उन पर जुरमाना नही लगाया जाता। जिस देश में राजपत्रित ऑफिसर लेबल के ऑफिसर दो या तीन साल पुराना कानून नही समझ सकते, ऐसे लोग देश का कानून और शासन कैसे चलाते होंगे। क्या कल कोई अदालत किसी अपराधी पर इसलिए मकोका नही लगायेगी की उस अपराधी को कानून की जानकारी नही थी।
अब तो बस यही कहा जा सकता है, ये देश है मेरा।

Thursday, January 29, 2009

छोड़ दो ख्वाब देखने की आदत

ये देश मेरा, यानि मेरा हिंदुस्तान। नाम महान है। देश के लोग महान है। देश का सिस्टम महान है। बस महान नही है तो वो लोग जो नेताओं और अफसरशाही से महान होने का सपना देखते हैं। अब कौन समझाए शराफत, कानून और सच की बातों का कोई मतलब नही होता। ये वो ख्वाब हैं, जिन्हें देखना लोगो की आदत बन गई है। भला इस महान लोकतंत्र में ऐसे ख्वाब देखने की इजाजत कैसे दी जा सकती है। ये तो अपराध है, पूरे समाज और सिस्टम के खिलाफ। बताओ नेताओं पर निगरानी की बात और साथ में अफसरों से भी उम्मीद? ऐसा तो नही चलेगा। जिस देश में कभी पंचों को परमेश्वर मन जाता था और पंच भी सुचिता बरतते हुए अपने कर्म और जीवन में सभी कुछ आइने की तरफ साफ रखते थे। उस देश में आज न्याय करने वाले ही अपने आपको छिपाकर रखना चाहते हैं, वहां मर्यादा की बात करते हुए सपने देखने वालों के लिए कोई जगह नही है। महान देश में ऐसे लोगो की कोई जरुरत नही है।