Sunday, May 16, 2010

खाप पंचायतों में ख़ून से वोट बैंक भरने की राजनीति

आजकल देश में खाप पंचायतें चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। पुरानी परम्परा और संस्कृति के नाम पर शुरू ये पंचायतें जब कभी चर्चा में आती थी तो मुद्दे सामाजिक विकास और हक की लड़ाई से जुड़े होते थे। लेकिन समय के साथ हर चीज बदल रही है तो पंचायतों के विषय भी बदलने लगे हैं। पुरानी कहावत है की मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी। लेकिन खाप पंचायतों के काजी कुछ भी करने को तैयार हैं। यहाँ तक की अपना फरमान नहीं मारने वालों की जान लेने तक से भी उन्हें परहेज नहीं है। हवाला दिया जाता है विरासत को सहेजकर रखने का और पुरानी परम्परा को बचने की लड़ाई का। खैर विषय बहुत गंभीर है। मुद्दे और फैंसले दोनों ग़लत हो सकते हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में मीडिया में ख़बरें चली कि कांग्रेस संसद नवीन जिंदल ने खाप पंचायतों का समर्थन किया है। ये वो ही नवीन जिंदल हैं, जिन्हें राहुल गाँधी कि सोच कि उपज मन जाता है। सोच ये कि पढ़े लिखे नौजवान राजनीति में आयेंगे तो देश का विकास तो होगा ही पुरानी रवायतें भी बदलेंगी। शायद नवीन जिंदल का खाप पंच्यातों को दिया गया समर्थन तो राहुल गाँधी कि सोच पर खरा नहीं उतर रहा है। क्या ऐसा ही है देश मेरा.......

1 comment:

  1. चिंता मत कीजिये ये नेता जो भस्मासुर पैदा कर रहें हैं ,वही एक दिन इन नेताओं को भी भस्म करने का काम करेगा / नेताओं की इतनी बेशर्मी मैंने भी ,अपने जीवन में कभी नहीं देखि / उम्दा सोच और प्रस्तुती /

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