Monday, April 26, 2010

फिर बदली गडकरी की जुबान!

भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने एक अपने एक बयान में कहा है कि १९८४ में हुए सिख विरोधी दंगो के लिए कांग्रेस को जिमेद्दार ठहराना ठीक नहीं हैं। क्योंकि वो दंगे एक हत्याकांड के बाद हुए थे और वो लोगो की अपनी भावनाओ के कारण हुए थे। हो सकता है के कुछ लोग किसी पार्टी विशेष से जुड़े हुए हों। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कांग्रेस इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने ये बात गुजरात के दंगो के लिए वहां के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार न मानने के सम्बन्ध में तर्क रखते हुए कही थी। सवाल ये नहीं है कि गुजरात दंगो के लिए मोदी जिम्मेदार हैं या नहीं। सवाल ये है के १९८४ के जिन दंगो की हकीक़त से पूरा देश वाकिफ है, उन दंगो के लिए गडकरी अपने बचाव में इतिहास को झुठलाने का प्रयास कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का ये बयान लाल कृष्ण अडवानी के उस बयान जैसा ही है जिसमे उन्होंने देश का विभाजन करने के लिए जिम्मेदार मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की थी। लेकिन एक बहुत बड़ा फर्क है। वो ये कि अडवानी को लोग गंभीरता से लेते हैं और गडकरी को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी वो सम्मान नहीं मिल सका है। लेकिन गडकरी को ये ध्यान रखने की जरुरत है के देश में सब कुछ इतिहास और संस्कृति की बदौलत चल रहा है। हकीक़त को झुठलाने वाले बयान लोगो को हजम नहीं होते। और हाँ वो ये भी ध्यान रखें की जनता की नज़र में अडवाणी के एक ही बयान ने उनको राजनीतिक बुलंदियों को धरातल पर ला दिया था और गडकरी तो अभी तक बुलंदियां भी नहीं छू पायें हैं। अपना नहीं तो कम से कम भाजपा के रुतबे का तो ख्याल करें "गडकरी जी"। क्योंकि मेरे देश में जनता वोट भले ही किसी को भी दे देती हो लेकिन जख्मों को कुरेदने वाले लोग उसे पसंद नहीं हैं। क्योंकि कुछ ऐसा ही ही है "ये देश मेरा".

No comments:

Post a Comment