Friday, May 21, 2010

बेईमानों की दुनिया

जब कभी समाचार पत्र या टीवी पर धोकाधडी या अपनों के विश्वास का खून करने की घटनाओं के बारे में पढता या देखता था तो मन में ख्याल आता था कि कोई भी इंसान कैसे किसी का विश्वास तोड़ सकता है। लेकिन कहते हैं कि इस दुनिया में हर बात का जवाब यहीं मिल जाता है। ये सच भी है। कल तक पैसे का रोना रोकर मदद मांगने वाला इंसान थोड़ी ही कामयाबी मिलने के बाद कैसे आँखे बदलता है, एक घटना के बाद अब मुझे भी समझ आ गया। लेकिन अभी भी यकीं नहीं होता कि खुद को आपका हितेषी बताने वाला इंसान कैसे आपकी पीठ में छुरा घोपने से बाज नहीं आता। वो भी केवल इसलिए कि उसे पैसा ज्यादा प्यारा लगने लगता है, और इसलिए वो अपने वायदे और बातें भी भूल जाता है। खैर जवाब इसी जमीं पर मिलता है तो धोका करने वालों को परिणाम भी इसी जमीं पर मिल जाते हैं। बस फरक इतना है कि धोखा खाने वाला किसी पर यकीं नहीं कर पता और देने वाला अपनी मीठी बातों के साथ किसी और को ठगने कि योजना का ताना बना बुनता रहता है। बस ऐसा ही है देश मेरा......

1 comment:

  1. इसीलिए तो अपना देश "महान" है मित्र।

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