Tuesday, February 3, 2009
..............धन्य हैं मुख्य सूचना आयुक्त साहब
एक पुरानी कहावत है कि शीशे के घरों में रहने वाले लोग दूसरों पर पत्थर नहीं फैंकते। लेकिन मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह शायद इससे इत्तेफाक नहीं रखते। बात करते हैं पारदर्शिता, ईमानदारी और ऐसे माहौल की, जिसमे सरकार या प्रशासन से जुड़े हर शख्स और उसकी अर्जित संपत्ति के बारे में किसी को भी पूरी जानकारी मिल सके। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने और केन्द्र सरकार के मंत्रियों की संपत्ति की जानकारी मांगने का मामला सामने आया तो केंद्रीय सूचना आयोग के रुख ने देश की जनता को एक सकारात्मक संदेश दिया। एक अपील में आयोग की तीन सदस्यीय बेंच ने फ़ैसला दिया की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए। फ़ैसला देने वालों में हबीबुल्लाह साहब भी शामिल थे। यही बात सूचना आयोग के आयुक्तों की संपत्ति के बारे में उठी तो, सूचना आयोग में आयुक्त श्रीमान शैलेश गाँधी इस पक्ष में थे कि आयुक्तों की संपत्ति की जानकारी वेब साईट पर डाल दी जाए। लेकिन हबीबुल्लाह साहब जानकारी देने से कतराने वाले अफसरों और जनता से जानकारी छिपाने का भरसक प्रयास करने वाली सरकार की भाषा बोलनजर आए। उनका कहना था, जब देश का कोई भी आयोग अपने आयुक्तों की संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे रहा है तो हम भी उन्ही की राह पर चलेंगे। ये मौका था सूचना छिपाने वाले लोगो के सामने एक उदहारण पेश करने का। लेकिन इस बेहतर मौके पर उन्हें अपनी पुरानी नौकरशाही की भाषा याद आ गई। धन्य हैं हमारे देश का सूचना आयोग और उसके मुख्य सूचना आयुक्त।
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bhai bahut aag ugal rahe ho badhiya hai. sachai hai to dena hi hoga. blogers ki dunia mein aapka swagat
ReplyDeleteis blogers mein sirf apni baat hi ki jaati hai. apna anubhav aise mamlon mein dena nishit roop se bahut badhia hai
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