Thursday, September 24, 2009
किसके लिया और किसके साथ
दिल्ली के अख़बारों में खबरें छप रही हैं कि सीपी साहब के खास डीसीपी साहब ने अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी निकलने के लिए सफदरजंग अस्पताल के एम्एस के ख़िलाफ़ झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। एमएस साहब का कसूर ये था कि उन्होंने डीसीपी साहब के रिश्तेदारको मेडिकल कोर्स में दाखिला नही दिया था। अब शहर में रहना है और डीसीपी साहब के रिश्तेदार को तवज्जो नही मिले, ये तो पुलिस की साख पर बट्टा लगाने वाला काम है न? एमएस साहब ने पुलिस की साख पर बट्टा लगाया था, तो परिणाम भी भुगतना ही पड़ेगा न। कहा तो यह भी जा रहा है कि डीसीपी साहब ने हाल ही में अस्पताल से एचआईवी संक्रमण वाले खून के मामले का खुलासा भी किया था। ये बात और है कि अस्पताल के रिकॉर्ड में वो खून नष्ट किया जा चुका है। लेकिन डीसीपी साहब ने मीडिया में ये भी कह दिया कि पुलिस जांच कर रही है कि ये खून कहीं लोगो को तो नही चढाया गया है? साहब ने तो केवल आशंका ही व्यक्त की और अस्पताल में खून चढवा चुके लोगो के दिलों की धड़कने तेज हो गई हैं। बेचारों को क्या पता था कि अस्पताल में खून चढ़वाने के बाद डीसीपी और डॉक्टर साहब की लडाई में ईलाज के बाद ये दिन भी देखना पड़ेगा। धन्य है दिल्ली की महान पुलिस और उसके डीसीपी साहब। बदमाश खौफ नही खाते तो क्या हुआ? कम से कम आम लोगों को तो पुलिस से डरना ही चाहिए।
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dcp ne tumhe yaad kiya hai.apne crime reporter ko saath le jana
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