Wednesday, September 23, 2009
खजूरी हादसा और सरकार. ये दिल्ली है मेरे यार
देश की राजधानी दिल्ली के स्कूल में हादसा हो गया। पांच नन्ही बच्चियों की जान चली गई। स्कूल की बच्चियों का आरोप थाकि हादसे का कारण लड़कियों के साथ कि गई छेड़छाड़ थी। मुख्यमंत्री से लेकर अन्य नेता तक हाल जानने पहुंचे। मृत बच्चियोंके घरवालों को मुआवजे का एलान कर दिया गया। सरकार ने जांच कमेटी बैठा दी। लेकिन रिपोर्ट आने सा पहले ही डीसीपीएस एस यादव ने कह दिया कि हादसा छेड़छाड़ के कारण नही हुआ था। अब दिल्ली सरकार के राजस्व उपायुक्त टी सी नख नेभी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हादसा छेड़छाड़ के कारण नही हुआ है। हादसे का कारण स्कूल में छोटी सी जगह पर ज्यादातादाद में बच्चों को ठूंसने के कारण हुआ था। ऐसा लगता है रिपोर्ट के नाम पर मृत बच्चों के साथ मजाक किया गया है। शायदउपायुक्त श्री नख साहब दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत से वाकिफ नही हैं। आखिर होंगे भी कैसे एसी कमरे और गाड़ी सेनिकलने का मौका जो नही मिलता बेचारों को। दिल्ली के स्कूलों की हकीक़त देख लें तो शायद मालूम हो जाएगा कि बाछेंकिन मुश्किल हालात में पढ़ रहे हैं। आज भी ज्यादातर स्कूलों में क्षमता से ज्यादा बच्चों को ठूंसकर रखा जाता है। स्कूलों किइमारतें खतरनाक हालत में हैं। स्कूलों में पीने का पानी नही है। टॉयलेट कि सुविधा नही है। स्कूलों के बहार छुट्टी के समय आवारा लड़कों का हुजूम लगा रहता है और पुलिस तथा प्रशासन इन पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। लेकिन सरकार और पुलिस को इससे कोई सरोकार नही है। भले ही पांच कि जगह पचास मासूम लड़कियां क्यों न अपनी जान दे देन। कम से कम १.७ करोड़ कि आबादी में तो इतनी जानें सरकार के लिए कोई मतलब नही रखती।
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