Wednesday, September 23, 2009

कौन कहता है सड़क पर भीख मांगते हैं भिखारी

लोग कहते हैं राजधानी की सड़कों पर भीख मांगने वाले लोग शहरी की छवि पर बट्टा लगा रहे हैं! लेकिन हम पूछते हैं जब सरकार और पुलिस को भिखारी नजर नहीं आ रहे, तो आपको भला भिखारी कहां से नजर आ गए! अरे जनाब! आप जानते भी हैं कि भिखारी किसे कहते हैं? चलिए हम आपको बता देते हैं! भिखारी वास्तव में वह लोग होते हैं जो आर्थिक विवशता व अन्य परेशानी के कारण लोगों के सामने याचक बनकर खाने व अन्य मदद की गुहार लगाते हैं। और अपनी दिल्ली में तो ऐसे लोगों की तलाश करने पर कुछ नहीं मिलने वाला।
हैरान होने की आवश्यकता नहीं है। यहां आपको भिखारी नहीं, बल्कि ऐसे लोग ही नजर आएंगे जो लाल बत्ती पर रूकी हुई आपकी कार के शीशे पर हाथ मारकर पैसे मांगते हैं। आप भले ही उन्हें इंकार कर दें या कार से दूर होने के लिए कहें। मगर क्या मजाल की वह अपने अधिकार के लिए ना लड़े! जब तक बत्ती लाल रहेगी, कार के शीशे को थपथपाते उनके हाथ और कार से चेहरा सटाकर भीतर झांकती उनकी निगाहें हट नहीं सकती। आपको बुरा लगता है तो लगता रहे! उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं है। वह तो अपने कार्यक्षेत्र में अपना काम कर रहे हैं। अब आपको नहीं पसंद आया तो न सही। लेकिन उन्हें भिखारी कहने का अधिकार आपको नहीं है!
सड़क और चौराहों पर भीख मांगने वाले लोग कोई मामूली आदमी नहीं है। वह इस काम के लिए बाकायदा पुलिस और समाज कल्याण विभाग को अपनी कमाई में हिस्सा देते हैं। वह ऐसे प्रोफेसनल व्यापारी लोग हैं जो बाकायदा एक क्षेत्र विशेष में अपने काम को अंजाम देते हैं। जहां पर महिला भिखारी बीमार नजर आने वाले बच्चे को किराए पर लाकर उसके नाम पर आपसे मदद मांगती हैं। जहां फटेहाल और बीमार नजर आ रहे मासूम बच्चों की कमाई में से भी बाकायदा कुछ लोगों को हिस्सा जाता है।
ऐसे में यदि कोई संस्था यह कहे कि भीख मांगना अपराध नहीं होना चाहिए तो भला क्या गलत कह रही है? लोग बेचारे अपनी नशे की आदत से मजबूर होकर आपसे पैसा मांगते हैं। हट्टे-कट्टे हैं, मगर मेहनत करने के बजाए भीख मांगकर पेट भरने में विश्वास रखते हैं। पुरूष, कलाकारों की तरह महिला की वेशभूषा में कला दिखाकर पैसे मांगते हैं और नहीं देने पर अधिकार के साथ आपको अपशब्दों से भी नवाजते हैं। फिर ऐसे लोग भला भिखारी कैसे हो सकते हैं। वह तो यह काम उतने ही अधिकार से करते हैं, जितने अधिकार के साथ आप अपना काम करते हैं। भीख मांगना तो उनका मौलिक अधिकार है।

2 comments:

  1. ये तभी रुक सकता है जब हम इन्हे देना बन्दं कर दे। आपका लेख काफी अच्छा रहा, लगता नहीं कि आप नये ब्लोगर है। आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आशा है कि आप अपने रचना से हिन्दी ब्लोग जगत को संमृद्ध करंगे।

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  2. word verification hata de, cooment dene me diikat hoti hai

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